
कहीं खून में तू लथपथ
कहीं तिरंगे मैं लिपटा रहा
तेरे वज़ूद का हर क़तरा
वतन के लिए मिटता रहा
तू जगता रहा वहां तो मैं
चैन की नींद सोता रहा
तू डटा रहा एक मुश्त तो
मैं हमेशा मुस्कुराता रहा
तू था तो मेरा वज़ूद था
मेरी खुशियां थीं,मेरा सुकून
तेरे साथ मिट्टी हो गयी
मेरी चाहतें ,मेरा जुनून
तेरा ही साया था मैं भी
मैं भी बिखरा मैं भी टूटा
तू सो रहा था चैन से और
मेरी आंखों से थी नींद जुदा
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