आज तेरे नाम की
ये जो ओढ़ी है चुनर मैंने
इसके हर धागे में, सिमटा है प्रेम तेरा
इसके हर गोटे, हर चमचम में
गुँथे हैँ सपने मेरे
ये है नया आसमाँ मेरा
जिसकी छांव में
पाई है इक नईं जमीं मैंने
जिसमें लहलहायेगी
हमारी उम्मीदों की फसल
बरसेंगे हमारे अहसासों के बादल <
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