
बर्फीली चोटियों पर
सीमा पर गश्त के बीच
गर्म चाय से उठती भाप
अहसास दिलाती है
रिश्तों की गर्माहट का
बहुत सलीके से
होंठों से लगा कर
वो भेजता है
गर्म बोसे का पैग़ाम
सुदूर कहीं
किसी बहुत अपने को
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बर्फीली चोटियों पर
सीमा पर गश्त के बीच
गर्म चाय से उठती भाप
अहसास दिलाती है
रिश्तों की गर्माहट का
बहुत सलीके से
होंठों से लगा कर
वो भेजता है
गर्म बोसे का पैग़ाम
सुदूर कहीं
किसी बहुत अपने को