
सपनों की जिस चादर को ओढ़कर बिताया था बचपन मैने
आज उसको पंख बनाकर सारा आसमां छू आया हूं मैं
हसरतों से मैं ताका करता था जिस आसमां को कभी
उसके आंचल से लिपटकर हवाओं में तैर आया हूं मैं
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आज उसको पंख बनाकर सारा आसमां छू आया हूं मैं
हसरतों से मैं ताका करता था जिस आसमां को कभी
उसके आंचल से लिपटकर हवाओं में तैर आया हूं मैं
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