मेरा गाँव मेरा बचपन...3/40. 40 poems in 40 days's image
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मेरा गाँव मेरा बचपन...3/40. 40 poems in 40 days

लौट के आया गाँव मैं अपने 

देवभूमि के अंचल में 

प्रकृति का आशीष तो जैसे 

रम सा गया मेरे कण कण में 


जन्म हुआ जिस माटी में

माथे पे सजाया जब उसको 

यादों के पटल झटके से खुले 

दिखलाया सारा बचपन मुझको 


वो माँ की हथेली सा आँगन 

जिसमें गिर गिर कर चलना सीखा था 

माँ की बाँहों सी वो संकरी गलियाँ 

जिनमें अक्सर मैं खो जाता था 


पगडण्डियाँ वो अंतहीन सी 

जिनमें यूँ ही भटक जाता था मैं 

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