
बहुत अरसे बाद चाय बनाई
बरबस मां बहुत याद आई
चाय सी जो कड़ती रही
अपनों के लिए आधी हो गई
जब तक संतुष्ट न हुई
कि अब स्वाद हो गई हूं मैं
कभी उबाल भी आया
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बहुत अरसे बाद चाय बनाई
बरबस मां बहुत याद आई
चाय सी जो कड़ती रही
अपनों के लिए आधी हो गई
जब तक संतुष्ट न हुई
कि अब स्वाद हो गई हूं मैं
कभी उबाल भी आया