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माँ ..1/40 of 40 poem competition

बहुत अरसे बाद चाय बनाई

बरबस मां बहुत याद आई

चाय सी जो कड़ती रही

अपनों के लिए आधी हो गई

जब तक संतुष्ट न हुई

कि अब स्वाद हो गई हूं मैं

कभी उबाल भी आया

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