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कुछ आग सीने में लिये.29/40. 40 Poems in 40 Days


कुछ आग सीने में लिए 

कुछ आग काँधे पे लिए 

तुम्हें आग से बचाने को 

आग पर चलता हूँ मैं 


बर्फ़ की चादर लपेटे 

कभी सूरज सिरहाने लिए 

चट्टान बन कर कभी 

आँधियों से लड़ता हूँ मैं 


ज़िंदगी के ये फलसफ़े 

तुम न समझाना मुझे 

मौत की आँ

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