
क्षमादान छोड़ो हे शंकर
तुम खोलो त्रिनेत्र तुम्हारा
वरदान की इच्छा त्यागो शंभु
विध्वंसक हो विध्वंस करो
छोड़ोगे गर भस्मासुर को
भस्म करेंगे जग वो सारा
जो मानव बन बैठे हैं असुर
उन असुरों का संहार करो
वरदान की इच्छा त्यागो शंभु
विध्वंसक हो विध्वंस करो
काल बनो हे महाकाल तुम
दया न हो अब धर्म तुम्हारा
पापियों से मुक्त करो ये धरा
उठा त्रिशूल अब वार करो
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