
किसे दोष दूँ
किसको कोसूँ
करुण क्रन्दन करती
मेरे देश की माटी
नव बधू का
सिंदूर मिटाती
नादान लहू से
लथपथ घाटी
उजले दिन में
घनघोर अँधेरा
सन्नाटों में
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किसको कोसूँ
करुण क्रन्दन करती
मेरे देश की माटी
नव बधू का
सिंदूर मिटाती
नादान लहू से
लथपथ घाटी
उजले दिन में
घनघोर अँधेरा
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