जीवन यात्रा 35/40. 40 Poems in 40 Days's image
2K

जीवन यात्रा 35/40. 40 Poems in 40 Days

इंसान जन्म से मरण तक 

रहता है अनजान अनभिज्ञ 

कभी नासमझी से 

कभी जानबूझकर 

क्षणिक पड़ाव को ही 

यात्रा समझ लेता है 


बच्चे की किलकारी 

और वृद्ध की चीख को 

अलग भाव से देखता है 

नहीं समझता कि 

अलग अलग अवस्था की 

एक ही अभिव्यक्ति है वो 

Read More! Earn More! Learn More!