हे श्रद्धेय, तुम प्रेरक भी, प्रेरणा और कथानक भी
हर पल आपके चरणों में झुका शीश करते हैं नमन
गदगद है,संतृप्त है मन,पाकर ये आशीष आपका
आज आपके चरणों से, धन्य हुआ मन का आंगन
आपकी आंखों में, करुणा का महासागर है गुरुवर
प्रेम छलकता है झरझर, जब भी आप उठाएं नयन
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