
गिरहा गिरहा जोड़ा मैंने
अपनी विरहा की सांसों को
बूंद बूंद संजोया मैंने
जीवन की सगरी प्यासों को
मीत की यादें मन के मोती
चंद भी हों तो चांद के जैसी
मोतियों सा पिरोया मैंने
छोटी बड़ी सब यादों को
आँसू की हर बूँद में सिमटी
छोटी बड़ी कोई कहानी
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