
ए वतन हम तुझे गलवान दिए जाते हैं
वतनपरस्ती की नई पहचान दिये जाते हैं
न ज़ख्मों का हमारे न मौत का गम करना
हम दुश्मन को यहीं शमशान दिए जाते हैं
तेरी ही देन है हमारे लहू का क़तरा क़तरा
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ए वतन हम तुझे गलवान दिए जाते हैं
वतनपरस्ती की नई पहचान दिये जाते हैं
न ज़ख्मों का हमारे न मौत का गम करना
हम दुश्मन को यहीं शमशान दिए जाते हैं
तेरी ही देन है हमारे लहू का क़तरा क़तरा