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बंजारापन शौक है सिपाही का...30/40. 40 Poems in 40 Days

तान ली बर्फ़ीली हवाओं की चादर कभी

कभी सूरज को सिरहाने लगा के सो गये


ओढ़ा कभी बर्फ़ीले तूफ़ानों का ग़िलाफ़ 

कभी चट्टानों के बिस्तर पर सुस्ता लिये


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