लहर's image


रात गुजर रही मेरे साथ

चहुँओर दिखा राख – सी चित्र

मानो दे रहा कोई संदेश

प्रत्याशा है जैसे झींगुर राग घट के


दिशा – दिशा तिरती पवनें

मन्द – मन्द या तेज उठान वेग

सुख – दुःख की क्या खींचती व्यथाएँ ?

बढ़ – बढ़ लौटती आँगन की जैसी छाया !


ऊपर शशि केतन ले किंचित् प्रभा

कहाँ दे रही मुख के मुस्कान ?

माहुर भव

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