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श्रद्धांजलि

रात अन्धेरी छुपा न पाई, अरनिमा का सोना 
उजियारे भी रोक न पाए  रात का होना 
समय चक्र है  सब बनता मिटता रहता है
प्राण पखेरू उड़ते ही तन मिट्टी क
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