कोटा किस-किस को याद है? हां वही राजस्थान का एक शहर कोटा जिसके बारे में कहावत मशहूर है।यदि किसी चौराहे पर खड़े होकर एक पत्थर फेंकोगे तो या तो वह किसी कोचिंग में गिरेगा या फिर किसी हॉस्टल में। वही कोटा जिसकी हवा में ऑक्सीजन से ज्यादा कांपटीशन घुला हुआ है। कोटा ऐसा शहर है जहां आईआईटी या मैडिकल की तैयारी के लिए हर वर्ष लाखों स्टूडेंट आते हैं। न जाने कितने बच्चों के सुनहरे सपने यहां आकर सच हुए। कुछ बच्चे असफल भी होते हैं लेकिन वह कोटा से यह सीख कर जाते हैं कि आगे की जिन्दगी में जीत कैसे हासिल करनी है। अगर आप मैडिकल या इंजीनियरिंग के स्टूडेंट नहीं है तो कोई बात नहीं। लेकिन कोई ऐसा एग्जाम जिसमें भले ही आपका सिलेक्शन ना हुआ हो लेकिन उसे दिल की गहराइयों से चाहा हो। तब आपको मेरी पोइट्री जरूर पसन्द आएगी।
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(शीर्षक: कोटा एक्सप्रेस)
सिलेक्शन की रेस में देखा खुद को आजमाकर
कोटा के मिजाज का देखा धड़कनों पे असर
बुकस्टोर हो या चाय की दुकान हर तरफ एक ही लहर
बंद कमरा हो या खुला आसमान जुनून में डूबा शहर
थिएटर में पिक्चर के बीच अगले टैस्ट की बातें
ऑर्गेनिक कैमिस्ट्री में डूबकर बिताई गई रातें
पढ़ाई का इतना प्रैशर कि हाइड्रोजन से बन जाए हिलियम
लोगों की ऐॆसी कन्संट्रेशन कि अपनी बिगड़ गई इक्व्लिब्रियम
बॉटनी की बुक में प्रकाश संश्लेषण
या मैकेनिक्स में न्यूटन का विश्लेषण
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