"उड़ चल परिंदे दूर कहीं"'s image
577K

"उड़ चल परिंदे दूर कहीं"

कफ़न से लिपटा हुआ है जो, वही तेरा वेश यहाँ,
उड़ चल परिंदे दूर कहीं, तेरा ना कोई देश यहाँ।

ये जीत हार की दुनिया है, तू शतरंज का सिपाही है,
अदाकारों की बस्ती है, और ये मंच तेरा इलाही है,
मिले सुकूँ इन साँसों को, ऐसा हो परवेश जहाँ,
उड़ चल परिंदे दूर कहीं, तेरा ना कोई देश यहाँ।

ये नदियाँ अब जल लेती हैं, शज़र धूप दिखाते हैं,
ये ख
Read More! Earn More! Learn More!