हे सूर्य देव
अपने ताप से
शीतल कर दो धरती
फैला कर अपना प्रकाश
उज्जवल कर दो चरित्र
निर्विकल्प निराकार
आलोकित कर तिमिर को
सिखा दो जड़ता में
जीवन संचार
अपने ताप से
शीतल कर दो धरती
फैला कर अपना प्रकाश
उज्जवल कर दो चरित्र
निर्विकल्प निराकार
आलोकित कर तिमिर को
सिखा दो जड़ता में
जीवन संचार
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