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संघर्षों

संघर्षों से लड़ के,

पत्थरों पे चल के,

धूप में जल के,

अभाव में पल के,

भूखा सोने को मजबुर हूँ,

 मै, मजदूर हूं ।


दे के ठहर तुम्हे,

छत की मंजुल छांव भी,

दूर से आकर दिया है,

अपनेपन का भाव भी,

पर खुद

बादलों के नीचे 

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