घर
घर को ज्यादा संवारना
अब अच्छा नहीं लगता
क्योंकि शायद फिर
घर घर नहीं लगता
वो एक घर था
जिसे सब मिलकर
संवार लेते थे
जरूरत भर का
और बना रहता था
घर के होने का अहसास
वो जरूरत भर का संवारना
सबका अपना नज़रिय था
अपना अपना तरीका था
बात घर की करतीRead More! Earn More! Learn More!