क्या ख़ैरियत बताऊँ मैं
मेरे वतन जहान की
बापू की सीख में बसे
भारत मेरे महान की
इंसानियत को भूलकर
हैवानियत कुबूल कर
लहरा रहे हथियार
भारत के नौजवान की
जब सिसकियाँ सुनाई दे
लाचारगी दिखाई दे
फिर होड़ क्यों मची हुई
घंटो की और अज़ान की
नर्क और स्वर्ग हैं यहीं
ढूढ़ों न जन्नते कहीं
बस न वज़ह बनो कभी
गिर
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