
राह देखते - देखते रात ढल गई
वेकेंसी की आस में उम्र निकल गई
चुनावी मौसम में तो वादे हज़ार होते हैं
मौसम बदलने की आस में सरकार ही बदल गई
अब डर नहीं किसी का न ख़ौफ है कोई मुझ को
जो चेहरा पहले जवां थी अब
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राह देखते - देखते रात ढल गई
वेकेंसी की आस में उम्र निकल गई
चुनावी मौसम में तो वादे हज़ार होते हैं
मौसम बदलने की आस में सरकार ही बदल गई
अब डर नहीं किसी का न ख़ौफ है कोई मुझ को
जो चेहरा पहले जवां थी अब