महाशून्य's image

हो जो अग्नि मधुर चांदनी

निस कपित मानुष थर्राता

वृक्षों की शाखों पर बैठा

मिथ्या पंछी रोता गाता 


देख सलिल के झरनों को

बैठा भौरा कुमुदनी पर

शलखंडों को तोड़ तोड़ कर

पर

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