
जीवन बना संग्राम, जबसे तूने होश संभाला है,
सुन रणभेरी की राग, कहता आज का उजाला है,
उठ खड़ हो ऐ मानव होजा तू अब तयार,
समर भूमि कर रही तेरा पुकार.
इस शहर मेरा कोई नहीं, उस जगह कोई अपना नहीं,
है जीवन एक संघर्ष प्यारे, कोई प्रेम रस कविता नहीं,
अपने अस्त्रों और शस्त्रों की दिखा तू अब चमकार,
समर भूमि कर रही तेरा पुकार.
दो पल का
Read More! Earn More! Learn More!