
आजादी का अमृत छक गए,
नेता और हुक्काम
पर बाधाओं, पीड़ाओं से
सदा जन मन रहा धड़ाम
मनमानी और जुल्म के
वाकए होते गए आम
आजादी का,,,
नेताओं की कई पीढ़ियां
सत्ता का सुख भोग गईं
शहर शहर में हुक्कामों की
खड़ी कोठियां चमक रहीं
संविधान की सभी शक्तियां
इन पे डाल न सकीं लगाम
आजादी का,,,
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