
यादों की करवट ने,
दिल में दबे उन तमाम पन्नों को मोड़ दिया है,
जहां तेरे कई दस्तावेज़ पडे़ मिले,जो
चंद झलकियां दिखलाती हैं उन लम्हों की,
जो आज न चाहते हुए भी हश्र हैं।
इन्हें, जबरन समेटकर आज भी, ख़्वाबों में ,
मैं तेरी शिकायत, तुझसे ही करता हूं।।<
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