वीरानी!'s image

जो, हिंद अधूरा रह गया बिना सिंध के,
गंगा-जमुनी तहज़ीब भी हुई बदनाम ।
क्यों वीज़ा लगता है आज ढाका जाने को?
क्यों दूर हुआ मुझसे मेरा चट्टग्राम ?
जो ,गुहार न दी गई उस बंटवारे पर,
क़त्ल न होती उसमें शान-ए-हिंदुस्तान।
पेशावर न होता पराया, लाहौर भी अपना होता

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