
सत्य के डगर पर, असत्य को मिटाएं ।
मजहब के उलझनों से दूर हो हम जाएं ।
हिन्दी हैं हम, वतन है, हिन्दुस्तान हमारा।
भेदभाव कर के इस में उलझ न जाएं ।
सत्य के डगर पर, असत्य को मिटाएं ।।
मन्दिर कहाँ है, मस्जिद, क्यों उलझनों में आएं ?
जब एक ही है ईश्वर तब क्यों न इसे सुलझाएं ?
मर रहे हैं हम हजारों , सिमट कर के दायरों में ।
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