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कुर्सी(अधिकार)

जंगल राज नहीं आतंक राज, बात सिर्फ है कुर्सी का ।

चिन्तन नहीं आज चिन्ता है, प्राप्त करने को कुर्सी का ।

कुर्सी के लिए ही भिन्नता है,चिंतन नहीं आज चिंता है ।

कोई सेकुलर बन कर आया, कोई धर्म का लिया सहारा ।

अपनी डफली अपना राग, चाहे टूटे भाईचारा ।

सोच सोच कर घृणा होता, अधिकांश का दिल है काला ।

अंधकार है, उग्रवाद

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