जाति , रंग ,रुप से कभी कोई बड़ा नहीं ।
बुद्धि, विवेक, बल अगर कोई किसी से कम नहीं ।।
चरितार्थ है इतिहास में लाखों उदाहरण पड़े ।
पर अम्बेदकर और एकलव्य का जीवन कर रहा रोंगटे खड़े ।।
ये भेद भाव करके कुछ लोग सर्वोच्च बनने पर अड़े।।
ये भ्रान्तियाँ कब मिटेगा? सोचने का वक्त है ये ।
उलझे हुए इस कड़ी को सुलझाने का वक्त है
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