डॉक्टरी अब व्यापार बन कर रह गई,
जिसे समझते थे रूप भगवान का,
पता नही अब उसे कौन सी लत लग गई?
डिग्रियां बहुतेरे इक्कठे कर रख लिए,
अब उन कागज़ों की बोलियां बाजारों में लग गई।
पैसों से अब इलाज
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