![जीवन की बढ़ती व्यस्तता's image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/post_pics/%40tushar-rathor/None/1672133124491_27-12-2022_14-55-26-PM.png)
जिंदगी इतनी व्यस्त हो गई है,
समय की गति तेज हो गई है ।
समय के साथ चलते चलते,
मानो जिंदगी पीछे हो गई है ।
जरूरतें पूरी करने घर से निकलता है,
पता नहीं इंसान कहां कहां भटकता है ।
तेज धूप हो या फिर बारिश की रिमझिमाहट,
सब सहकर इंसान घर लौट निकलता है ।
सुबह से शाम हो जाती है,
रात में जिंदगी थक सी जाती है,
थक हार बिस्तर पर पड़कर,
पता नहीं सुबह कब हो जाती है ।
कोई नौकरी पर जा रहा है,
तो कोई व्यापार चला रहा है ।
दिनभर की इस भागादौड़ी में,
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