
वो पल कितना खुबसूरत हुआ करता था,
जब तुम मेरे फोन में मैसेज बनकर धड़का करते थे ।
उसी धड़कन को सुनकर मेरा दिल भी धड़का करता था,
तुम्हारे मैसेज का बेसब्री से इंतजार हुआ करता था ।
जब तुमसे मैसेज में बातें होती थी, यकीन मानो मेरा हृदय, मेरे हाथों में उतर आया करता था,
उन धड़कते हाथों से ही मैं तुम्हें मैसेज किया करता था ।
जब जब तुमसे बातें होती थी, ये तब तब ही धड़का करता था ।
तुम्हारी हर डीपी को मैं अपने शब्दों से बयां करने की कोशिश करता था,
वो तुम्हीं थे जिसने मुझे लिखने की प्रेरणा दी थी,
वो तुम्हीं थे जिसके लिए मैं लिखा करता था ।
वो तुम्हीं थे जो मेरे हर शब्द में हुआ करते थे,
वो तुम्हीं थे जिसके लिए मेरे हर शब्द हुआ करते थे ।
जब कभी मैं सोचता तो तुम्हारा चेहरा सामने आ जाता था,
जब कभी मैं लिखता तो शब्दों में सिर्फ़ तुम्हारा पहरा नज़र आता था ।
हालात कुछ ऐसे थे आंखे बंद करूं तो सामने तुम ही नज़र आते थे,
जब खोलता मैं आंखे तो तुम आसपास महसूस होते थे ।
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