
कौन कहता है जीवन छोटा होता है,
कभी उससे पूछो जो बेरोजगार होता है ।
कैसे उसे एक एक सेकंड की खबर रहती है,
घड़ी की टिक टिक भी साफ सुनाई देती है ।
हर मिनट, हर घंटा उसे महसूस होने लगता है,
वक्त का हर लम्हा उसे काटने लगता है ।
घर की दीवारों से उसकी यारी बढ़ जाती है,
घर की दीवारें उसे पहचानने लग जाती है ।
घर का हर एक कोना आपस में बातें करता है,
बातों बातों में उसे अनेकों ताने देता है ।
सबके ताने सुनकर भी वो चुप्पी साधे रहता है,
अपनी मर्यादा को खामोशी से बांधे रहता है ।
इतना सब सह सहकर वो दिन गुजारा करता है,
रात होते ही बिस्तर पर पड़कर सो जाया करता है ।
नौकरी की तलाश में दिनभर भागादौड़ी करता है,
इस भागादौड़ी में वो खुद को भूल जाया करता है ।
जगह जगह वो ज
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