ये बंधुत्व ना है इंसानों का,
ये बंधुत्व ना है भगवानों का ।
बंधुत्व है प्रकृति और इंसानों का,
बंधुत्व है हर एक आशियानों का ।
जुड़ी है जिससे जीवन की हर एक सांस,
उसी प्रकृति से है जीवन की हर एक आस ।
निरंतर करें हम प्रकृति के मान का प्रयास,
उसी से बढ़ेगा हम पर प्रकृति का विश्वास ।
प्रकृति करती है निरंतर हम पर उपकार,
जो देती रहती है हमें अनमोल उपहार ।
बढ़ेगा बंधुत्व से प्रकृति का प्रकार,
ना करेगी वो हम पर भयावह प्रहार ।
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