![अश्क's image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/post_pics/%40trishalapathak312/None/20220817_231506_19-08-2022_10-25-03-AM.jpg)
~श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा।~
वो अश्क़ अश्क़ बह रहमैं उदर से उतर रही
वो आते जाते उधर से
जिधर से मैं गुजर रही
वो नब्ज़ नब्ज़ सम्भाल रहमैं संभल संभल के चल रही
वो मन-ए-मकां बना रहे
मैं मनसूबे कुचल रही
हया नही हवा में
जो ओर ओर चल रहे
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