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हिंदी कविता

हम रखे थे उम्मीदे जिनसे वो जालिम चालबाज निकले

ढूंढते मिले भी सफर में पर वो बहाने बाज निकले।

उम्मीदे ना.छोड़ी हमने उसको पाने की पर किस्मत ही बेकार निकली

लाख कोशिश कर ली हमने पर पैदाईशी परेशान निकले।

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