वो अनसुलझी पहेलियाँ's image
514K

वो अनसुलझी पहेलियाँ

"वो अनसुलझी पहेलियाँ"


स्थिरता में थी

एक विचित्र सी हलचल,

गति में भी अविरत

अवरोध था।

शांत-सा दिख रहा था आक्रोश

और शून्य भी निरंतर

असंख्य हो रहा था।

निःशब्दता कोटिशः बातें

कह रही थी।

कोलाहल भी कोने में

दुबका चुपचाप पड़ा था।

दिन और रात सब

एक जैसे हो गए थे

सब देखकर भी कोई

आँखें बंद कर लेता था

और कोई बिन देखे भी

आभास कर लेता था।

भ्रम भी भ्रमित

Read More! Earn More! Learn More!