खोखला लोकतंत्र's image
ख़त्म हुई होश करने की बारी
सत्य होगी अब कवि की वाणी
जल उठी है अब धरती हमारी
गीदड़ो पर पड़ेंगे कुत्ते भारी

वर्षो से मुक्त है मातृभूमि बेचारी
फिर भी चारो तरफ भीषण बेकारी
कहीं भुखमरी,किसी को बीमारी
रोते हुए हर जगह बेबस, गरीब और नारी

आये यहाँ तब से कितने रामराज्य के पुजारी
खुद
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