![खोखला लोकतंत्र's image](/images/post_og.png)
ख़त्म हुई होश करने की बारी
सत्य होगी अब कवि की वाणी
जल उठी है अब धरती हमारी
गीदड़ो पर पड़ेंगे कुत्ते भारी
वर्षो से मुक्त है मातृभूमि बेचारी
फिर भी चारो तरफ भीषण बेकारी
कहीं भुखमरी,किसी को बीमारी
रोते हुए हर जगह बेबस, गरीब और नारी
आये यहाँ तब से कितने रामराज्य के पुजारी
खुद
सत्य होगी अब कवि की वाणी
जल उठी है अब धरती हमारी
गीदड़ो पर पड़ेंगे कुत्ते भारी
वर्षो से मुक्त है मातृभूमि बेचारी
फिर भी चारो तरफ भीषण बेकारी
कहीं भुखमरी,किसी को बीमारी
रोते हुए हर जगह बेबस, गरीब और नारी
आये यहाँ तब से कितने रामराज्य के पुजारी
खुद
Read More! Earn More! Learn More!