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नया उलगुलान

कितने ही अर्द्धसत्यों के बाद भी
तुम आदरणीय 'बाबू' बन जाते हो
तुम घोषित किये जाते हो 
एक अप्रतिम आंदोलनकारी
बिना किसी पुष्टि के
कि तुम विद्रोह में किस तरफ थे

तुम्हारी योग्यता की मिसाल दी जाती है
यह जाने बिना कि 
तुम कितने कंधों पर जूता रखकर
इस ऊँचाई तक पहुँचे हो

तुम्हारी कविता बन जाती है इस सदी का विवरण<
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