अपना घर's image
वो घर जहाँ तुम्हारी  कितनी किलकारियां,
वो घर जहाँ राग भी तुम्हारा,  तुम्हारी ही तालियाँ,
जहाँ के कोने-कोने पर हक़ तुम्हारा हैं, 
मुख  पर सूकूनियत की चमक जैसे ध्रुव तारा हैं,
जहाँ सुकून भरी सांस तुम ले पाते, 
जहाँ देखा बसंत भी और पतझड़ जैसी रातें, 
जहाँ का हर किस्सा  तुम्हारा अपना हैं, 
जहाँ तुम्हारी सादगी के लिए ना कुछ मना हैं, 
जहाँ आकाश के हिस्से पर भी तुम्हारा पूरा हक़,
जहाँ से तारों की टिमटिमाती रोशनी देखते तुम दूर तलक़,  
जहाँ नींद तुम्हें सबसे प्यारी आती, 
जहाँ हवा भी तुम्हें अपना बताती, 
जहाँ से द
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