वक्त की आवाज's image
226K

वक्त की आवाज

मैं गलत हूं या सही हूं, साक्ष्य हूं, निर्णय नहीं हूं।

कहीं पर निरपेक्ष हूं,आक्षेप को सहता कहीं हूं।।

फिर मुझे अहसास का बन्धन भला क्यों तोड़ना है।

मैं पथिक हूं,मुझको दिन को रात से भी जोड़ना है।।


गगन के ये चांद तारे, हैं मेरे सहचर ये सारे।

और सूरज की दमक में, दमकते दिन के नजारे।।

साथी हैं सब, मुझे इनका साथ क्योंकर छोड़ना है।

मैं पथिक हूं, मुझको दिन को रात से भी जोड़ना है।।


सोच मैं, अहसास मैं हूं, चल रहा हर श्वास मैं हूं।

आस मैं, विश्वास मैं हूं, अंत का

Read More! Earn More! Learn More!