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रिश्तों की जंजीर


विनम्रता की भी सीमा है, अति - संयम नादानी है।

आत्मसम्मान दांव पर हो तो, हर रिश्ता बेमानी है।।


नजरंदाज करे जब कोई, उसको नजरंदाज करो।

बार बार जो करे उपेक्षा, खुद से दूर दराज करो।।


स्वाभिमान बस किसी एक की व्यक्तिगत जागीर नहीं है।

बात आत्मगौरव की हो तो, फिर कोई जंजीर नहीं है।।


आदर, स्नेह, प्यार में खुद का तिरस्कार मत सहो कभी।

बार बार की अवहेलना को, मजबूरी मत कहो कभी।।


समझाने से भी

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