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रिश्ते-नाते

रिश्ते,नाते,सम्बन्ध,जोड़,बन्धन,मित्रता और यारी,

इन सबके पीछे प्रेम,भावना,स्नेह,हितों का बन्धन है।

है सोच-विचारो में तनाव,टकराव,तो हैं ये बोझ सदृश,

हित,शुभचिंतन,निस्वार्थ भाव,तो हर रिश्ता मधु-चन्दन है।।

...

अपनेपन,अपनत्व भावना से, जुड़ता हर रिश्ता हरदम,

पर उसका निष्कर्ष, सामने वाले पर निर्भर होता है।

एक पक्ष के जान लुटाने से भी,असर नहीं होता कुछ,

अगर दूसरे के मन में, कोई शंका या डर होता है।।

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कितने भी निश्छल,निर्मल, निष्पाप रहें हम अपने मन में,

किन्तु दूसरे के मन के, अनुकूल सदा रहना मुश्किल है।

उसकी सोच,समझ,डर,शंका,अपनी जगह सही हो सकती,

आखिर हर इंसान स्वंय हित-अहित सोचने के काबिल है।।

...

जीवन में कम ही मिलते, वह रिश्ते जो जीवन-धन हों,

मिलते तो, अनजाने भय से, पहचान नहीं हम पाते हैं।

अनुभववि

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