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फिर मिलेंगे...!

फिर मिलेंगे, किसी दिन, कोई नया उपहार लेकर,

संवेदना, संघर्ष, चाहत, चेतना का ज्वार लेकर!

लेखनी को है कहां विश्राम, अविरल ज़िन्दगी में,

लौट कर आएगी फिर से,अनुभवों का सार लेकर!!


फिल मिलेंगे, तो कलेवर को नया कुछ भान देंगे,

पर सुधी हैं आप तो, हर रूप में पहचान लेंगे!

गीत, कविताओं का,गजलों का समां जारी रहेगा,

है भरोसा आप सब, इस लेखनी को मान देंगे!!


फिर मिलेंगे, ऐसी ही कुछ पंक्तियों का भार लेकर,

भावनाओं से लबालब, हृदय का संसार लेकर!

जिन

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