ओ जाने वाले,इस दुनियां पर, इतनी इनायत कर जाना।
जाते-जाते जो जख्म दिए,उनमें कुछ मरहम भर जाना।।
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सब दुःखी दिलों की,साथ अपने,संताप,वेदना ले जाना।
हमको फिर से आरोग्य जमीं, निर्दोष आसमां दे जाना।।
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हम खुली सांस लेने को भी, दो वर्षों से मोहताज रहे।
घर से लेकर चौराहों तक,निशदिन विषाणु सरताज रहे।।
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जो हर विषाणु बेअसर करे,कुछ ऐसी औषधि दे जाना।
हमको फिर से आरोग्य जमीं, निर्दोष आसमां दे जाना।।
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जो बिछड़े अपनों से, उनकी,पीड़ा, दुःख, दर्द बांट लेना।
जो बचे भुक्तभोगी,
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