![खेल खेल में's image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/post_pics/%40thakur-yogendra-singh/None/FB_IMG_1672585273706_1_01-01-2023_20-32-57-PM.jpg)
स्नेह, शुभचिंतन, निजी सम्मान की,
कर नहीं देना कभी अवहेलना।
खेल लेना तुम खिलौनो से मगर,
किसी की भावनाओं से कभी मत खेलना।।
चोट शब्दों से अधिक, खामोशियां देतीं हैं अक्सर।
आत्मसंयम को धराशायी, करें जो तीर बनकर।।
बिखर कर इंसान, अपने उसूलों को तोड़ता है।
जिस डगर मिलती है राहत,उस डगर पर दौड़ता है।।
ईगो, एटीट्यूड, स्टाइल, धरे रह जाते हैं सब,
जब भी पड़ जाता है, म
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