छणिकाएं ...(1989 की रचना)'s image
150K

छणिकाएं ...(1989 की रचना)

नफरत सबसे मिल सकती है, प्यार नहीं मिलता है,

बिना प्यार के कोई भी, अधिकार नहीं मिलता है।

लाख सींचो रात दिन, या खाद में रोपो, मगर,

फूल अपनी डाल पर, मौसम में ही खिलता है।।

...

यूं तो जुदाई में किसी की, कोई मर जाता नहीं,

जिन्दगी ही मौत बन जाए,तो कोई क्या करे।

ये जुदाई की तड़प, वो रूठ कर जाना तेरा,

मैं करूं तो क्या करूं, ये दिल करे तो क्या करे।।

...

सर हमने चढ़ाया है, तो  बोझ  भी  सहेंगे,

किस्मत में जो जलना है, तो क्या गिला किसी से।

जो आग कर ना पाई, वो काम तुम्हीं

Read More! Earn More! Learn More!