बीत गया यह साल भी, करके अपना काम।
कुछ खुशियों की आड़ में, देकर दर्द तमाम।।
विगत वर्ष में किया, एक संकल्प हो गया पूरा।
किन्तु मुख्यत: जो निर्धारित था,रह गया अधूरा।।
खुशियों के अनुपात,दुखों का पलड़ा अतिशय भारी।
पित्र - शोक के साथ, पुत्र सम जामाता मति हारी।।
कोविड से इस वर्ष रही राहत, पिछले वर्षो से।<
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